Tuesday, February 9, 2016

शेखचिल्ली सा कुछ हो जाए।

शेखचिल्ली सा कुछ हो जाए।

आओ कुछ गप शप हो जाए

महफिल में थोड़ी रौनक आ जाए।

तो फिर भईऐ , कुछ गरमा गरम हो जाए,

ज़ुबानों पे पहले कुछ ,चटखारा तो हो जाए।

चलो फिर गरमा गरम पकोड़े ही खाएं,

उन्हीं से अपनी महफिल सजाएँ ।

कुछ तुम सुनाओ, कुछ वो सुनाएँ

सुनाएँ क्या भईऐ , पेट में चूह हैंे कूदी मचाऐं।

तो भईऐ इतिश्री करो ना , इस घनी सरर्दी में, 

पकौडों की पेट पूजा का ही सेशन जमांऐ।

फिर यूँ चले गरमा गरम चर्चाओं का दौर, 

भई वाह, भई वाह ,गूँजे चहुँ ओर।

Kiren Babal

11.2.2016

No comments:

Post a Comment