शेखचिल्ली सा कुछ हो जाए।
आओ कुछ गप शप हो जाए
महफिल में थोड़ी रौनक आ जाए।
तो फिर भईऐ , कुछ गरमा गरम हो जाए,
ज़ुबानों पे पहले कुछ ,चटखारा तो हो जाए।
चलो फिर गरमा गरम पकोड़े ही खाएं,
उन्हीं से अपनी महफिल सजाएँ ।
कुछ तुम सुनाओ, कुछ वो सुनाएँ
सुनाएँ क्या भईऐ , पेट में चूह हैंे कूदी मचाऐं।
तो भईऐ इतिश्री करो ना , इस घनी सरर्दी में,
पकौडों की पेट पूजा का ही सेशन जमांऐ।
फिर यूँ चले गरमा गरम चर्चाओं का दौर,
भई वाह, भई वाह ,गूँजे चहुँ ओर।
Kiren Babal
11.2.2016
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