Sunday, February 28, 2016

अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फसाने में

साउदा मोहम्मद रफ़ी जी की पहली पक्ति ,'अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फसाने मे' को लेकर मेरे कुछ ख्याल।

ंअपनी तो नींद उड़ गई तेरे फ़साने में

फिर भी गिला करते फिरते हो ज़माने में।


अपनी नींद उड़ गई तेरे फसाने में

अभी कदम रखा है, जिंदगी के सफर में

अभी से यह दाव पेंच हमें हराने में?

तेरा मुस्कुराना, यूँ मुड़ मुड़ के तकना

रूबरू होने पर अनजान सा दिखना

अजीब है अंदाजे बयाँ ,यूँ बताने में

ये पैंतरे अच्छे नहीं दस्तूर-ए-मुहब्बत में ।

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अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फसाने में

अब और बाकि क्या बचा बताने में

ख्वाब सारे हवा हुए, पलक झपकने में

तुम्हीं कोई राह दिखाओ, इन्हें मनाने में ।

#

अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फसाने में

उड़ ही गई नींद जब, कुछ ऐसा तो करो

इक गरम प्याली चाय तो पिलाओ

कि मज़ा आ जाए, चुस्कियां लेकर पीने में ।

Kiren Babal



Friday, February 19, 2016

आइडेंटिटी

वो कैरम के खेल

पिट्ठू की दौड़

गिल्ली डंडे का शोर

लंगड़ी टांग का दौर

वो बचपन का आंगन

सब छोड़ आए हम ।

अनजाना शहर

अनजाने लोग

ना अब वो मस्तियाँ

किस्से कहानियाँ

तन्हा मैं यहाँ, 

जिंदगी की दौड़ में

आइडेंटिटी ढूंढते फिरते है

Kiren Babal

19.2 2016

Tuesday, February 16, 2016

दिवानगी

दिवानगी
इक नई सुबह का आगाज़
जैसे नए अंकुर का स्रजन,
सुनहली खिली धूप, सुबह की सैर
अठखेलियां करती ठंडी बयार
रोम रोम में समाया, इक नया उत्साह
स्वपनिल सी हो जैसे, इक नई आशा
काफी है मेरी रूह को दीवाना बनाने के लिए।
और मन दिवानगी की सब हदें पार कर
खुशी से नाच उठे, अपनी ही धुन में
इक मस्त मलंग की तरह।
Kiren Babal
10.1.2016

जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार से प्यार मिला

साहिर लुधियानवी जी के मशहूर गाने की पहली पंक्ति को लेकर हमारा काफिया मिलाओ चैलेंज...और मेरी अदना सी कोशिश।...................................(जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार से प्यार मिला)



जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार से प्यार मिला

तुम भूल गए, तो गम नही

खुशियाँ देखो हज़ारों हज़ार

जीवन सन्ध्या की अब बेला है

कैसा शिकवा और कैसा गिला ।

नई बहारें जब भी आएँगी

फिर बनाएँगे, आशियाँ नया ।



जाने वो कैसे लोग थे जिनको प्यार से प्यार मिला,

इधर उधर की छोड़ो यारो,

दिल के तार छेड़ो तो ज़रा,

भीतर को रूख करो भला

लौ को तेज़ कर देख तो सही

प्रेम प्याला छलक जाएगा

ये मेरा तुमसे दावा रहा।



जाने वो कैसे लोग थे जिनके, प्यार से प्यार मिला

फिरते रहे हम मारे मारे

सितम भी न जाने कितने सहे

फ़लसफ़ा जबसे जाना यारों, 

रहमत पे उसकी यूँ शक ना कर

उसमें भी है कुछ छिपा भला।

इसीलिए अब खुश हैं यारों

तुम भी पढ़ लो यह पाठ ज़रा



जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार से प्यार मिला

इस चमन की खरोंचों को देखो ज़रा,

जिस्म-ओ-जान फिर तार तार हुआ,

दिल भी अपना टूट गया

चल फिर ढूँढें नई डगर जरा

अमन-ओ-चैन से रहें जहाँ,

फिर ना रहे कोई रंजो गम।

प्यार से मुझको यूँ  प्यार मिला ।





जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार से प्यार मिला

ऐ बन्दे यूँ गम ना कर

दिल को तू छोटा ना कर

ऋतुएं आनी जानी हैं

कब ठहरी हैं ये भला ।

कल की चिंता छोड़ ज़रा

आज को अपने जी ले ज़रा ।

Kiren Babal

12.2.2016

Tuesday, February 9, 2016

शेखचिल्ली सा कुछ हो जाए।

शेखचिल्ली सा कुछ हो जाए।

आओ कुछ गप शप हो जाए

महफिल में थोड़ी रौनक आ जाए।

तो फिर भईऐ , कुछ गरमा गरम हो जाए,

ज़ुबानों पे पहले कुछ ,चटखारा तो हो जाए।

चलो फिर गरमा गरम पकोड़े ही खाएं,

उन्हीं से अपनी महफिल सजाएँ ।

कुछ तुम सुनाओ, कुछ वो सुनाएँ

सुनाएँ क्या भईऐ , पेट में चूह हैंे कूदी मचाऐं।

तो भईऐ इतिश्री करो ना , इस घनी सरर्दी में, 

पकौडों की पेट पूजा का ही सेशन जमांऐ।

फिर यूँ चले गरमा गरम चर्चाओं का दौर, 

भई वाह, भई वाह ,गूँजे चहुँ ओर।

Kiren Babal

11.2.2016

Sunday, February 7, 2016

जेली का प्यार

Inspired by a Poet friend's poem ...here is my composition

यह वाक्या मेरी सहेली के घर का है

जब इत्तफाक से मैं उनके घर में मेहमान थी।

जेली का प्यार

हुआ यूँ कि मेरी सहेली बीमार हो गई,

पति महोदय हाल बेहाल हो गए, 

बोले,"जान! बताओ, क्या करूँ तुम्हारे लिए...

ठंडी ठंडी जेली बनाऊँ?"

बुखार से उनींदी मेरी दोस्त ने सिर हिला दिया।

पूरे जोश से पति महोदय, रसोई के अन्दर

जेली बनाने की तैयारी में जुट गए।

किचन के बाशिंदे हैरान, जिसने पानी का गिलास न उठाया हो

वो नायाब सा रसोई घर में कैसे घुस आया!

खैर जी, पतीला निकालने के चक्कर में कई और बरतन

खन खनखना कर जमीन पर धराशाई हुए ।

शुक्र है कि सब स्टील के थे!

आधा पतीला पानी भर, 

उबलने की तैयारी हो रही थी ।

जेली जो बनानी थी!

पैकेट को पढ़ने में सारा ध्यान जुटा था

चेहरे पर परेशानी के आलम...

तभी मैं किचन में पानी लेने गई,

देखती क्या हूँ, महोदय परेशान से, सिर खुजा रहे थे।

मुझे देखते ही बोले,"लगता है मुझे भी बुखार हो रहा है...

यह लो जेली का पैकेट...अपनी सहेली के लिए...ठंडी जेली बना दो..."

यह कहकर पैकेट मुझे थमा दिया

और खुद चले गए बेडरू म में।

सिर पर गीला तौलिया 

और मुहँ में थर्मामीटर डाले

पत्नी के बगल में परस गए।

हलचल हुई, पत्नी मुड़ी, बोली

क्या हुआ आपको?

जानू, लगता है मुझे भी बुखार हो गया है।

जेली अब तुम्हारी सहेली बना रही है।

पत्नी से रहा नहीं गया, मुहँ से निकल ही गया

वाह, वारी जाऊँ...आपके जेली वाले प्यार से।

बाकि के दिन जेली वाले प्यार के 

किस्से, चर्चे और ठहाकों में बीत गए।

Kiren Babal

7.10.2015

Friday, February 5, 2016

' साॅरी '

' साॅरी '

आज

आईना देखा,

तो आँखों में 

कई सवाल नज़र आए।

वो मन का सुकून,

सदा अंगसंग वाला,

आज कोसों दूर 

क्यों नज़र आया?

क्या है ,जो मन को ...

कचोट रहा है?

कुड़कुड़ा रहा है? 

परेशान कर रहा है?

सब धुआँ धुआँ सा है

यानि कुछ तो जल रहा है

पर क्या?

जी करता है ज़ोर से चिल्लाऊँ

सारा गुबार बस बह जाए।

जब सीधी सच्ची बातें

तोड़ मरोड़ दी जाती है, तो

मन को चोट लाज़मी है।

'साॅरी' भी क्या शब्द है;

नागवार मौकों को

नज़रअंदाज़ करने का

बहुत सही नुस्खा है।

जब 'साॅरी', 

लिप-सर्विस हो

तो सुकून, तो

कोसों दूर,

होगा ही ।

Kiren Babal

28.8.2015