वो कैरम के खेल
पिट्ठू की दौड़
गिल्ली डंडे का शोर
लंगड़ी टांग का दौर
वो बचपन का आंगन
सब छोड़ आए हम ।
अनजाना शहर
अनजाने लोग
ना अब वो मस्तियाँ
किस्से कहानियाँ
तन्हा मैं यहाँ,
जिंदगी की दौड़ में
आइडेंटिटी ढूंढते फिरते है
Kiren Babal
19.2 2016
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