Friday, February 19, 2016

आइडेंटिटी

वो कैरम के खेल

पिट्ठू की दौड़

गिल्ली डंडे का शोर

लंगड़ी टांग का दौर

वो बचपन का आंगन

सब छोड़ आए हम ।

अनजाना शहर

अनजाने लोग

ना अब वो मस्तियाँ

किस्से कहानियाँ

तन्हा मैं यहाँ, 

जिंदगी की दौड़ में

आइडेंटिटी ढूंढते फिरते है

Kiren Babal

19.2 2016

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