Sunday, February 7, 2016

जेली का प्यार

Inspired by a Poet friend's poem ...here is my composition

यह वाक्या मेरी सहेली के घर का है

जब इत्तफाक से मैं उनके घर में मेहमान थी।

जेली का प्यार

हुआ यूँ कि मेरी सहेली बीमार हो गई,

पति महोदय हाल बेहाल हो गए, 

बोले,"जान! बताओ, क्या करूँ तुम्हारे लिए...

ठंडी ठंडी जेली बनाऊँ?"

बुखार से उनींदी मेरी दोस्त ने सिर हिला दिया।

पूरे जोश से पति महोदय, रसोई के अन्दर

जेली बनाने की तैयारी में जुट गए।

किचन के बाशिंदे हैरान, जिसने पानी का गिलास न उठाया हो

वो नायाब सा रसोई घर में कैसे घुस आया!

खैर जी, पतीला निकालने के चक्कर में कई और बरतन

खन खनखना कर जमीन पर धराशाई हुए ।

शुक्र है कि सब स्टील के थे!

आधा पतीला पानी भर, 

उबलने की तैयारी हो रही थी ।

जेली जो बनानी थी!

पैकेट को पढ़ने में सारा ध्यान जुटा था

चेहरे पर परेशानी के आलम...

तभी मैं किचन में पानी लेने गई,

देखती क्या हूँ, महोदय परेशान से, सिर खुजा रहे थे।

मुझे देखते ही बोले,"लगता है मुझे भी बुखार हो रहा है...

यह लो जेली का पैकेट...अपनी सहेली के लिए...ठंडी जेली बना दो..."

यह कहकर पैकेट मुझे थमा दिया

और खुद चले गए बेडरू म में।

सिर पर गीला तौलिया 

और मुहँ में थर्मामीटर डाले

पत्नी के बगल में परस गए।

हलचल हुई, पत्नी मुड़ी, बोली

क्या हुआ आपको?

जानू, लगता है मुझे भी बुखार हो गया है।

जेली अब तुम्हारी सहेली बना रही है।

पत्नी से रहा नहीं गया, मुहँ से निकल ही गया

वाह, वारी जाऊँ...आपके जेली वाले प्यार से।

बाकि के दिन जेली वाले प्यार के 

किस्से, चर्चे और ठहाकों में बीत गए।

Kiren Babal

7.10.2015

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