अन्नपूर्णा माँ
माँ सिर्फ माँ होती है,
ना वो गोरी, ना वो काली,
ना अमीर ना गरीब,
बस प्यार से भरपूर,
इक अन्नपूर्णा होती है।
खुद चाहे पानी पीकर रह जाए,
चाहे मलबा गारा सिर ढोए,
पर अपने बच्चे के लिए,
वह जो करती है,
चाँद, सितारे तोड़ लाने से
कम नही होती ।
अब यहाँ देखिए,
बच्चे का मन सेब
खाने को मचल गया।
माँ अपने लाडले को
उससे वंचित भला
कैसे रहने देती?
फिर बच्चे को सेब दिला,
उसे खाता देख,
उसका रोम रोम
वात्सल्य से भर जाता है,
और यही आसीश
होठों से निकलती है
जियो मेरे लाल,
खुशियाँ देखो, हजारों हजार।
Kiren Babal
7th Aug'2015.
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