जिंदगी फिर गुनगुनाती है
तेरे आने पर।
कुछ ऐसा है एहसास
कि जुगनू जगमगा उठे हैं
गुफ्तगू ऐसी है...
जुबा हैँ चुप,खामोशी मुस्कराती है
तेरे आने से ।
किलकारियाँ, धमाचौकड़ियाँ ,
रसोई में कुकर की सीटियाँ
चारों ओर का बिखरापन
चहचहाते सब दास्ताँ सुनाते हैं
तेरे आने से।
आँखे पीछा करती हैं , लम्हा दर लम्हा
तुम भले ना देखो, भले ना कुछ कहो,
तुम्हारे चेहरे का सुकून, खुशगवारी
मेरी रूह पहचानती है,
खिलखिलाती है।
Kiren Babal
26.11.2015
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