Wednesday, February 3, 2016

तेरे आने से

जिंदगी फिर गुनगुनाती है

तेरे आने पर।

कुछ ऐसा है एहसास

कि जुगनू जगमगा उठे हैं

गुफ्तगू ऐसी है...

जुबा हैँ चुप,खामोशी मुस्कराती है

तेरे आने से ।

किलकारियाँ, धमाचौकड़ियाँ ,

रसोई में कुकर की सीटियाँ

चारों ओर का बिखरापन

चहचहाते सब दास्ताँ सुनाते हैं

तेरे आने से।

आँखे पीछा करती हैं , लम्हा दर लम्हा

तुम भले ना देखो, भले ना कुछ कहो,

तुम्हारे चेहरे का सुकून, खुशगवारी

मेरी रूह पहचानती है,

खिलखिलाती है।

Kiren Babal

26.11.2015

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